सिन्धु जल संधि (Indus Water Treaty) : क्या भारत – पाक के बीच होने जा रहा है “जलयुद्ध” ?
क्या है सिन्धु जल संधि (What Is Indus Water Treaty)
जल संसाधन किसी भी देश की जीवनरेखा होते हैं। जब दो देश एक ही नदी प्रणाली पर निर्भर हों, तो जल का न्यायपूर्ण बँटवारा और उपयोग एक संवेदनशील मुद्दा बन जाता है। भारत और पाकिस्तान के बीच सिन्धु जल संधि (Indus Water Treaty) इसी तरह का एक ऐतिहासिक समझौता है, जो 1960 में अस्तित्व में आया था। आइए जानते हैं इस संधि का इतिहास, मुख्य बिंदु और वर्तमान स्थिति। भारत ने पहलगाम हमले के बाद सिन्धु जल संधि (Indus Water Treaty) को स्थगित करने का फैसला लिया है | सिन्धु जल संधि (Indus Water Treaty) भारत तथा पाकिस्तान के मध्य हुआ एक जल संधि है जिसे सिन्धु जल संधि के नाम से जाना जाता है |
सिन्धु संधि स्थगित करने का कारण
कश्मीर का पहलगाम शहर एक पर्यटक स्थल है जिसे मिनी स्विट्ज़रलैंड के नाम भी जाना जाता है , जहा बीते दिनों आतंकवादी घटना को अंजाम दिया गया जिसमे लगभग 27 बेकसूर लोगो को उनका नाम व धर्म पूछ कर बर्बरता पूर्वक मार डाला गया जिसमे ज्यादातर पर्यटक है |जिसके कारण पूरा देश गुस्से से उबल रहा है , जिसके पश्चात् भारत सरकार ने सिन्धु जल संधि (Indus Water Treaty) को स्थगित कर दिया है |
संधि का इतिहास
सिन्धु जल संधि (Indus Water Treaty) 19 सितंबर 1960 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हस्ताक्षरित हुई थी। इस संधि को विश्व बैंक की मध्यस्थता में बनाया गया था। इसका उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल का बँटवारा करना था, ताकि दोनों देशों को अपने-अपने हिस्से का पानी न्यायसंगत रूप से मिल सके।
सिंधु नदी प्रणाली में कौन-कौन सी नदियाँ हैं?
सिंधु नदी प्रणाली में कुल छह प्रमुख नदियाँ आती हैं:
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सिंधु (Indus)
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झेलम (Jhelum)
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चिनाब (Chenab)
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रावी (Ravi)
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ब्यास (Beas)
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सतलुज (Sutlej)
संधि के मुख्य बिंदु
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पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास और सतलुज) भारत को मिलीं।
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पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम और चिनाब) पाकिस्तान को आवंटित की गईं।
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भारत को पश्चिमी नदियों पर सीमित उपयोग जैसे सिंचाई, जलविद्युत और घरेलू उपयोग की अनुमति है।
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दोनों देशों के बीच यदि किसी परियोजना को लेकर विवाद होता है, तो उसे पहले द्विपक्षीय वार्ता, फिर तटस्थ विशेषज्ञ और अंत में अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के ज़रिए सुलझाया जाता है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इंडस जल संधि
हाल के वर्षों में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और सीमा पर घटनाओं के कारण इस संधि पर पुनर्विचार की माँग उठती रही है। कई बार भारत ने संकेत दिया है कि वह अपनी वैध हक की सीमा तक पश्चिमी नदियों का उपयोग बढ़ा सकता है।
साल 2023-24 में भारत ने विश्व बैंक को संधि में संशोधन की माँग की थी, क्योंकि पाकिस्तान बार-बार जल परियोजनाओं पर आपत्ति दर्ज करा रहा था, जिससे विकास कार्यों में बाधा आ रही थी।
निष्कर्ष
सिन्धु जल संधि (Indus Water Treaty) भले ही दो दुश्मन देशों के बीच बनी हो, लेकिन यह आज तक चल रही है और इसे दुनिया की सबसे सफल जल संधियों में गिना जाता है। यह संधि न केवल जल प्रबंधन का एक उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि संवाद और समझौते से जटिल मुद्दों को भी सुलझाया जा सकता है। लेकिन वर्तमान समय के लिए इसे स्थगित कर दिया गया है|